दिल से दिल का रिश्ता होगा पूरा जब ये सपना होगा हर-सू निखरा निखरा होगा बादल जब भी बरसा होगा सावन की इस रिम-झिम में वो सर से पा तक भीगा होगा और तो याद नहीं पर हम ने इश्क़ में धोका खाया होगा मुझ को छोड़ के जाने वाले इतना तो ये सोचा होता तेरे बा'द मिरा क्या होगा बा'द में तू भी रोया होगा इक दिल है बस मेरा अपना पर जाने कल किस का होगा घर औरों के जलाने वाले तेरा घर भी उजड़ा होगा सारी रात तड़प के 'इंदर' रोते रोते सोया होगा