दिल से हर गुज़री बात गुज़री है किस क़यामत की रात गुज़री है चाँदनी नीम-वा दरीचा सुकूत आँखों आँखों में रात गुज़री है हाए वो लोग ख़ूबसूरत लोग जिन की धुन में हयात गुज़री है तमतमाता है चेहरा-ए-अय्याम दिल पे क्या वारदात गुज़री है किसी भटके हुए ख़याल की मौज कितनी यादों के सात गुज़री है फिर कोई आस लड़खड़ाई है कि नसीम-ए-हयात गुज़री है बुझते जाते हैं दिखती पलकों पे दीप नींद आई है रात गुज़री है