दिल से कह आहें न हर आन भरे कुछ जिगर हो तो दम इंसान भरे ख़्वाहिशों को मैं करूँ क्या ऐ सब्र घर में मुफ़्लिस के हैं अरमान भरे हम तो मिज़्गाँ की नमत हम-चश्मों ख़ाली हाथ आए हैं अरमान भरे अश्क दाना है तो नज़रों से न गिर दामन इस धब्बे से नादान भरे ज़ब्त रोके न तो दिखलाऊँ आँख पल में पानी अभी तूफ़ान भरे चश्म-ए-उश्शाक़ के बर रो मत आ ऐ सदफ़ दुर ने तिरे कान भरे गर वो बुत नाम-ए-ख़ुदा गोया हो कलिमा का दम न मुसलमान भरे फ़ौज अल्फ़ाज़ की भरती है 'नसीम' शे'र पर कुन से हैं दीवान भरे