दिल से पूछा तू कहाँ है तो कहा तुझ को क्या किस की ज़ुल्फ़ों में निहाँ है तो कहा तुझ को क्या चश्म-ए-गिर्यां से शब-ए-वस्ल में पूछा मैं ने अब तू क्यूँ अश्क-फ़िशाँ है तो कहा तुझ को क्या जब कहा मैं ने कि नीं बोलते हो गाली बिन जान ये कौन ज़बाँ है तो कहा तुझ को क्या कहने लागा दिल-ए-गुम-गश्ता तिरा है मुझ पास जब कहा मैं ने कहाँ है तो कहा तुझ को क्या जब कहा मैं ने कि ऐ जान तिरी सूरत पर शेफ़्ता पीर-ओ-जवाँ है तो कहा तुझ को क्या जब कहा मैं ने कि ऐ सर्व-ए-रियाज़-ए-ख़ूबी किस का तू आफ़त-ए-जाँ है तो कहा तुझ को क्या दिल से 'बेदार' ने पूछा कि तिरे सीने पर किस के नावक का निशाँ है तो कहा तुझ को क्या