दिल उदास होता है इस क़दर अकेले में नींद भी नहीं आती रात भर अकेले में नाम लब पे आते ही दिल धड़कने लगता है मिल गए तो क्या होगा वो अगर अकेले में रुत हसीन थी लेकिन आप जो नहीं आए क्या बताएँ हम गुज़री किस क़दर अकेले में रात मेरे आँगन में आ के जब बिखरती है सूना सूना लगता है और घर अकेले में हम कभी अंधेरे के ख़ौफ़ से नहीं डरते चाँदनी अगर होती हम-सफ़र अकेले में जानते हैं तन्हाई हम को रास आएगी लम्हा लम्हा लगता है फिर भी डर अकेले में गाँव रात में 'नाज़िम' साएँ साएँ करता है कौन घर से निकलेगा जान कर अकेले में