दिलदार मिलेंगे यहाँ ग़म-ख़्वार मिलेंगे सच्चाई के लेकिन न तरफ़-दार मिलेंगे अरमान-भरे दिल को ख़रीदेगा यहाँ कौन कहने को तो दुनिया में ख़रीदार मिलेंगे पाबंद-ए-वफ़ा दोस्त तो मुश्किल से मिलेगा यूँ चाहने वाले सर-ए-बाज़ार मिलेंगे ऐ उर्दू ज़बाँ आह तिरी कौन सुनेगा यूँ तो सभी ग़ज़लों के परस्तार मिलेंगे इस शहर-ए-सितम में अगर ढूँडेंगे 'मजीद' आप मुश्किल से कहीं साहब-ए-किरदार मिलेंगे