दिल-ए-बे-मुद्दआ है और मैं हूँ मगर लब पर दुआ है और मैं हूँ न साक़ी है न अब वो शय है बाक़ी मिरा दौर आ गया है और मैं हूँ उधर दुनिया है और दुनिया के बंदे इधर मेरा ख़ुदा है और मैं हूँ कोई पुरसाँ नहीं पीर-ए-मुग़ाँ का फ़क़त मेरी वफ़ा है और मैं हूँ अभी मीआद बाक़ी है सितम की मोहब्बत की सज़ा है और मैं हूँ न पूछो हाल मेरा कुछ न पूछो कि तस्लीम ओ रज़ा है और मैं हूँ ये तूल-ए-उम्र ना-माक़ूल ओ बे-कैफ़ बुज़ुर्गों की दुआ है और मैं हूँ लहू के घूँट पीना और जीना मुसलसल इक मज़ा है और मैं हूँ 'हफ़ीज़' ऐसी फ़लाकत के दिनों में फ़क़त शुक्र-ए-ख़ुदा है और मैं हूँ