दिल-ए-वीराँ भी था मस्कन किसी का उसी में नूर था रौशन किसी का गढ़ी है आरज़ू ज़िंदा है हसरत किसी का घर है दिल मदफ़न किसी का बपा है शोर-ए-महशर क़त्ल-गह में किसी का हाथ है दामन किसी का दो-आलम को तह-ओ-बाला न कर दे बदलना नाज़ है चितवन किसी का गुलिस्ताँ में ज़रा जा कर तो देखो किसी की ख़ंदगी शेवन किसी का भरोसा चर्ख़ पर ऐ दिल न करना हुआ कब दोस्त ये पुर-फ़न किसी का चराग़-ए-इश्क़ है आँसू से रौशन किसी का ख़ून-ए-दिल रोग़न किसी का तमन्ना शौक़ से निगराँ है इस में किसी का ज़ख़्म-ए-दिल रौज़न किसी का 'जमीला' दश्त में कहती थी रो कर इलाही दिल न हो दुश्मन किसी का