दिल-लगी और चीज़ होती है दिलबरी और चीज़ होती है रस्म है यूँ मुआनक़ा करना दोस्ती और चीज़ होती है बा-वज़ू हूँ मैं क़िबला-रू भी मगर बंदगी और चीज़ होती है इन उजालों को रौशनी न कहो रौशनी और चीज़ होती है हम तो लाशें हैं साँस लेती हुई ज़िंदगी और चीज़ होती है हर्फ़-दर-हर्फ़ दर्द हैं बाबा शाइ'री और चीज़ होती है बंदिशें और चीज़ हैं 'तारिक़' शाइ'री और चीज़ होती है