दिल-ओ-दीदा पर क्या इजारा हमारा न सहरा हमारा न दरिया हमारा फ़लक भी जो चाहे तो अच्छे न होंगे हमारा अदू है मसीहा हमारा गरेबान वहशत ने फाड़ा तो क्या ग़म ख़ुदा रखने वाला है पर्दा हमारा मोहब्बत निभे बुत कि हो ख़ाना-ए-दिल हमारा तुम्हारा तुम्हारा हमारा हम ऐ 'रश्क' मिटते रहे आबरू पर रहा नक़्श-बर-आब नक़्शा हमारा