दिलों की उक़्दा-कुशाई का वक़्त है कि नहीं ये आदमी की ख़ुदाई का वक़्त है कि नहीं कहो सितारा-शनासो फ़लक का हाल कहो रुख़ों से पर्दा-कुशाई का वक़्त है कि नहीं हवा की नर्म-रवी से जवाँ हुआ है कोई फ़रेब-ए-तंग-क़बाई का वक़्त है कि नहीं ख़लल-पज़ीर हुआ रब्त-ए-मेहर-ओ-माह में वक़्त बता ये तुझ से जुदाई का वक़्त है कि नहीं अलग सियासत-ए-दरबाँ से दिल में है इक बात ये वक़्त मेरी रसाई का वक़्त है कि नहीं दिलों को मरकज़-ए-असरार कर गई जो निगह उसी निगह की गदाई का वक़्त है कि नहीं