जागते रहना है अब ख़्वाब की ता'बीर तलक दर्द सहना है ये तिरयाक की तासीर तलक इस में साया कोई बन जाए तो आ जाना तुम हम यहीं बैठेंगे दीवार की ता'मीर तलक आप के साथ बस इक शाम बिताने के लिए दाव पे दिल की लगा डाली है जागीर तलक आसमाँ पर जो सितारों की थी महफ़िल इस में हम ने देखी थी नुमायाँ तिरी तस्वीर तलक आज 'दिलशाद' ने फिर एक ग़ज़ल लिख डाली सिलसिला जाएगा 'ग़ालिब' से कभी 'मीर' तलक