दिमाग़-ओ-दिल की थकान वाला कड़ा सफ़र है गुमान वाला यक़ीन करने चले तो हो पर ये रास्ता है ढलान वाला लगी है आग अपने दश्त-ए-दिल में डरा हुआ है मचान वाला हैं सामने वो सवाल आँखें मुझे है डर इम्तिहान वाला ज़मीं बनाते हुए यक़ीनन नशे में था आसमान वाला सुपुर्दगी और इतनी जल्दी मज़ा तो हो खींच-तान वाला अदब की ख़िदमत का सोचता हूँ बताओ कोई दुकान वाला सभी हुए ना-उमीद मुझ से ये वक़्त है इत्मीनान वाला मैं इक तो सरदार वो भी शाइ'र फिर उस पे उर्दू ज़बान वाला