दिया जलाया दोनों ने देखा साया दोनों ने लिख कर सादा काग़ज़ पर नाम बताया दोनों ने आँखों और चराग़ों को साथ जगाया दोनों ने दोनों महक से बोझल थे फूल खिलाया दोनों ने ख़ामोशी की बूँद गिरी हर्फ़ बनाया दोनों ने कमरे में वो दोनों थे शोर मचाया दोनों ने धूप की उजली चादर में बाँधा साया दोनों ने