दो-चार दोस्तों की नज़र लग गई मुझे वर्ना किसी के साथ की 'आदत न थी मुझे फिर आप की गली से गुज़रते हुए लगा पीछे से जैसे आप ने आवाज़ दी मुझे हँसता हूँ इस लिए कि इसी में सुकून है रो कर भी कौन सी ख़ुशी वापस मिली मुझे मैं किस तरह से तेरे बिना हो गया तबाह मैं सोचता हूँ काश कि तू देखती मुझे अपना सुकून और है दिल का सुकून और दिल के सुकून से ही मुसीबत मिली मुझे