दोस्ती हुस्न-ओ-मोहब्बत में मगर होती है ज़िंदगी ख़ार की फूलों में बसर होती है हर अदा उन की जो मंज़ूर-ए-नज़र होती है जान-ए-दिल होती है पैवस्त-ए-जिगर होती है बात बनती है तो हो जाती है दुनिया हाइल बात बढ़ती है तो दुनिया को ख़बर होती है ज़ोफ़-ए-अनवार को तक़दीर समझने वाले हर जवाँ रात ही पैग़ाम-ए-सहर होती है हर किसी चश्म का आँसू है बिना-ए-तूफ़ाँ जब तिरी याद भी हमराज़-ए-सफ़र होती है तुम मुझे प्यार के अंदाज़ से देखा न करो दिल धड़कता है तो दुनिया को ख़बर होती है सुन लिया करता हूँ अक्सर मैं कहानी 'ग़म' की ग़म के अंदाज़ में जो रात बसर होती है