दोस्ती में दिल जो टूटा दुश्मनी अच्छी लगी रौशनी में लुट गए तो तीरगी अच्छी लगी देख कर ऊँचे मकानों में अमीरों के चलन हम को अपनी झोंपड़ी में मुफ़्लिसी अच्छी लगी ज़िंदगी से कोई दिलचस्पी न थी हम को मगर हादसे में बच गए तो ज़िंदगी अच्छी लगी ख़ैर से उस की जवाँ बेटी जो रुख़्सत हो गई आज बरसों बाद उस को नींद भी अच्छी लगी था हमारे साथ मंज़िल का तसव्वुर ऐ 'शकील' दोपहर की चिलचिलाती धूप भी अच्छी लगी