दोस्ती पर यक़ीं ला-महदूद हो चुका अब वो सिलसिला महदूद हम ने जो भी कहा कहा महदूद सब को अच्छा लगा कि था महदूद शाइ'री मुख़्तसर-नवीसी है वर्ना लावा था दिल में ला-महदूद उस को दरिया में जा के मिलना था एक क़तरा था रह गया महदूद चाहे जितना भी हो वसीअ' मगर फिर भी होता है दायरा महदूद अपना अपना नसीब है ऐ दोस्त वर्ना सब कुछ यहाँ है ला-महदूद रहनुमा जब से मैं बना अपना न रहा कोई रास्ता महदूद उस को कूज़े में बंद कर डाला अब तो दरिया भी हो चुका महदूद दस्तरस में 'फ़रीद' था सब की जाने अब क्यों वो हो गया महदूद