दोस्तो वक़्त है फिर ज़ख़्म-ए-जिगर ताज़ा करें पर्दा जुम्बिश में है फिर आओ नज़र ताज़ा करें ता-कुजा नाला-ए-ग़ुर्बत कि चली बाद-ए-शिमाल दिल में फिर ज़मज़मा-ए-अज़्म-ए-सफ़र ताज़ा करें आओ फिर धूम से हो आज ग़ुरूब और तुलू सुन्नत-ए-बंदगी-ए-शम्स-ओ-क़मर ताज़ा करें आओ चल कर रुख़-ए-ना-शुस्ता को देखें दम-ए-सुब्ह मौज-ए-रंग-ए-उफ़ुक़ ओ नूर-ए-सहर ताज़ा करें कुलह-ए-फ़क़्र को कज कर के सर-ए-बज़्म-ए-नशात आओ रस्म-ए-कोहन-ए-ताज-ओ-कमर ताज़ा करें आओ फिर जल्वा-ए-जानाँ पे लुटा दें कौनैन शुग़्ल-ए-पारीना-ए-अरबाब-ए-नज़र ताज़ा करें तबक़-ए-ज़र में लगा कर प-ए-नज़र-ए-जानाँ आओ फिर आबरू-ए-लाल-ओ-गुहर ताज़ा करें आओ फिर 'जोश' को दे कर लक़ब-ए-शाह-ए-सुख़न दिल-ओ-दीन-ए-सुख़न ओ जान-ए-हुनर ताज़ा करें