दुआ के साथ गया इख़्तियार बंदे का अभी तलक नहीं उतरा ख़ुमार बंदे का ये जावेदानी हदें रास्ते में पड़ती हैं दयार-ए-इज़्न नहीं है दयार बंदे का रिदा-ए-हिज्र मुहय्या करो कि आब-ए-ख़्वाब तिरी रज़ा पे है दार-ओ-मदार बंदे का ये नर्म घास ये मिट्टी ये आसमान-ए-ख़ाक यहीं कहीं पे है परवरदिगार बंदे का हवा-ए-शाम में ख़ुशबू अजीब है 'जावेद' मज़ार है इसी दरिया के पार बंदे का