दुआएँ माँग के दिल को क़रार रहता है तिरे करम का हमें इंतिज़ार रहता है वो मेरे दर्द को पढ़ता है मेरे चेहरे से नमी हो आँख में तो बे-क़रार रहता है अगर कभी मैं झिड़क दूँ किसी सवाली को मिरा ज़मीर बहुत शर्मसार रहता है जब एक फ़िरक़े के लोगों पे टूटते हैं सितम तमाश-बीनों में ही शहरयार रहता है ये सच है फ़ोन पे बात हुईं मगर बेटो गले लगाने को दिल बे-क़रार रहता है हमारी झोली में लाल-ओ-गुहर नहीं 'आसिफ़' ख़ज़ाना प्यार का हाँ बे-शुमार रहता है