दुख-दर्द की ग़मगीन कथा है कि ग़ज़ल है हर लफ़्ज़ मिरे ग़म की सदा है कि ग़ज़ल है ग़ज़लों में तग़ज़्ज़ुल है तिरे हुस्न का जल्वा शे'रों में तिरा रूप सजा है कि ग़ज़ल है मदहोश सा लगता है मुझे मेरा हर इक शे'र ये तेरी मोहब्बत का नशा है कि ग़ज़ल है मुझ को तो यक़ीं होता नहीं है ये अभी तक लोगों से मगर मैं ने सुना है कि ग़ज़ल है अल्फ़ाज़ का जादू है कि है सेहर-बयानी ग़ज़लों में मिरा दर्द छुपा है कि ग़ज़ल है किस दर्जा है रौशन ये तख़य्युल का उजाला हैराँ हैं सभी जलता दिया है कि ग़ज़ल है मैं देख रहा हूँ ये मिरे सामने 'अनवर' दरवाज़ा-ए-अफ़्कार खुला है कि ग़ज़ल है