दुख के अंधे कुएँ में डाल हमें मौत आएगी ला-ज़वाल हमें जा भी देखो मुहीब साए हैं इस अज़िय्यत से तू निकाल हमें है ये शायद गुज़र मोहब्बत की रास्ते लग रहे हैं लाल हमें मंज़िलें छोड़ रहबरान-ए-जुनूँ तू तो बस इस घड़ी सँभाल हमें इश्क़ में रंज-ओ-आह-ए-सोज़ाँ है अब बताता है ये हिलाल हमें गाँव से तेरा कूच करते ही साँस लेना हुआ मुहाल हमें