दुख से ख़ुशियाँ कशीद करना है इस तरह हम को ईद करना है अपने हाथों से देंगे ख़ुद ही कफ़न ख़ुद ही दिल को शहीद करना है तुझ से मिलना है अब ख़यालों में तेरी ख़्वाबों में दीद करना है उस का कहना है मुद्दतों के बा'द नए वादे वईद करना है इतनी जल्दी न कर मुरव्वत में ज़ुल्म मुझ पे मज़ीद करना है