दुखी दिलों के लिए ताज़ियाना रखता है

दुखी दिलों के लिए ताज़ियाना रखता है
हर एक शख़्स यहाँ इक फ़साना रखता है

किसी भी हाल में राज़ी नहीं है दिल हम से
हर इक तरह का ये काफ़िर बहाना रखता है

अज़ल से ढंग हैं दिल के अजीब से शायद
किसी से रस्म-ओ-रह ग़ाएबाना रखता है

कोई तो फ़ैज़ है कोई तो बात है इस में
किसी को दोस्त यूँही कब ज़माना रखता है

फ़क़ीह-ए-शहर की बातों से दर-गुज़र बेहतर
बशर है और ग़म-ए-आब-ओ-दाना रखता है

मुआमलात-ए-जहाँ की ख़बर ही क्या उस को
मुआमला ही किसी से रक्खा न रखता है

हमीं ने आज तक अपनी तरफ़ नहीं देखा
तवक़्क़ुआत बहुत कुछ ज़माना रखता है

क़लंदरी है कि रखता है दिल ग़नी 'अंजुम'
कोई दुकाँ न कोई कार-ख़ाना रखता है


Don't have an account? Sign up

Forgot your password?

Error message here!

Error message here!

Hide Error message here!

Error message here!

OR
OR

Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link to create a new password.

Error message here!

Back to log-in

Close