दुनिया अपनी छोटी सी सर पर गठरी छोटी सी अगली सड़क का आख़िरी घर घर में खिड़की छोटी सी कैसे उजड़ी किसे ख़बर दिल की नगरी छोटी सी किस सहरा की नज़्र हुई एक नदी थी छोटी सी काँधों पर जुग भर का दुख सर पर गगरी छोटी सी उस के होंटों पर आबाद एक दुआ थी छोटी सी हाथ में इक भारी बस्ता और इक तख़्ती छोटी सी आओ उसे भी याद करें नींद की बस्ती छोटी सी नैनीताल की बारिश तेज़ और ये छतरी छोटी सी