कोई सितम और कोई न ज़ुल्म याद रहेगा हम को वतन से है जो मोहब्बत याद रहेगी जब हम अपनी हर शय भूलते जाते होंगे भूलते जाने की ये आदत याद रहेगी मसले गए थे जाने क्यों उम्मीद के फूल फूलों की अनमोल शहादत याद रहेगी भूल न पाऊँ हुस्न वो चेहरा ख़्वाबों जैसा उस से बिछड़ जाने की क़यामत याद रहेगी मैं नहीं दूँगा कोई हिसाब भी रोज़-ए-महशर बख़्शिश को दरकार है निस्बत याद रहेगी