दुनिया देखी ज़माना देखा तुझ को सब में यगाना देखा मय भी पी मय-ख़ाना देखा रब्त-ए-ख़ुम-ओ-पैमाना देखा सब कुछ देखा आँख से अपनी तुझ को अगर जानाना देखा देखा तेरा जल्वा महवश नाज़-ए-मअशूक़ाना देखा कैसी कैसी सूरतें देखीं दिल को आइना-ख़ाना देखा गर्दिश-ए-चश्म-ए-सितमगर देखी पल्टा खाते ज़माना देखा साथी हम ने तुझ को पाया सब मतलब का ज़माना देखा हम ने चश्म-ए-मस्त का तेरी इक आलम मस्ताना देखा दिल की जलन से आग में कूदा क्यों सोज़-ए-परवाना देखा क्या क्या इश्क़ में सख़्ती झेली 'अकबर' को मर्दाना देखा