दुनिया-ए-मोहब्बत की है रस्म जुदागाना फ़रज़ाना है दीवाना दीवाना है फ़रज़ाना इक ग़ैरत-ए-मरियम की इन शोख़ अदाओं को क्या दे दिया हम ने जो दिल दे दिया नज़राना क्या अहल-ए-ख़िरद समझें क्या इस की हक़ीक़त है बर्बाद हुई बस्ती आबाद है वीराना गुल-पाश फ़ज़ाएँ हैं मस्ती सी बरसती है आ जोश-ए-बहाराँ है ऐ दिलबर-ए-मस्ताना हर लफ़्ज़ हक़ीक़त है हर बात सदाक़त है है गरचे मिरी हस्ती अफ़्साना ही अफ़्साना