दुनिया की इस भीड़ में खो गए जाने कितने लोग इन आँखों से ओझल हो गए जाने कितने लोग सदमे सहते सहते सारी उम्रें बीत गईं और ज़मीं को ओढ़ के सो गए जाने कितने लोग कुछ लोगों के घर में उतरी ख़ुशियों की बारात और ग़मों के बोझ को ढो गए जाने कितने लोग वक़्त के इस बहते दरिया में ख़ामोशी के साथ अपनी नाव आप डुबो गए जाने कितने लोग एक नज़र में उस ने हर इक दिल को जीत लिया एक नज़र में उस के हो गए जाने कितने लोग अश्कों की बरसात में बह गई महजूरी की राख अपने दिल के दाग़ को धो गए जाने कितने लोग