दुनिया को एहतिराम का मतलब नहीं पता या'नी हमारे नाम का मतलब नहीं पता मुद्दत से चल रहा हूँ मैं मंज़िल की चाह में अब तक मुझे क़ियाम का मतलब नहीं पता कितनी भी धूम-धाम हो लगता नहीं है जी इस दिल को धूम-धाम का मतलब नहीं पता फ़तवा वो दे रहा है मुसलसल हराम का जिस शख़्स को हराम का मतलब नहीं पता ये नफ़रतें ये शोर ये नारे ये क़त्ल-ए-आम तुम को हमारे राम का मतलब नहीं पता कहते हैं क्यों उदास हो 'शाहिद-करीम’ तुम जिन को उदास शाम का मतलब नहीं पता