दुनिया में कितने रंग नज़र आएँगे नए हों दीद के अमल में अगर ज़ाविए नए चेहरा भी आँसुओं से तर-ओ-ताज़ा हो गया बारिश के बा'द सब्ज़ा-ओ-गुल भी हुए नए बदली है ये ज़मीं कि मिरी आँख वो नहीं बेगाना शहर-ओ-दश्त हैं और रास्ते नए उस को बदल गया नशा-ए-ख़ुद-सुपुर्दगी मानूस ख़ाल-ओ-ख़द मुझे यकसर लगे नए सब से जुदा हैं गर मिरे नौ-ज़ाईदा ख़याल जिस ने दिए ख़याल वो अल्फ़ाज़ दे नए