दुनिया से हर रिश्ता तोड़ा ख़ुद से रु-गर्दानी की सिर्फ़ तुम्हारा ध्यान रखा और जीने में आसानी की मजनूँ और फ़रहाद हुए जब इश्क़ में सब बर्बाद हुए तब जंगल ने कूच किया सहरा ने नक़्ल-ए-मकानी की उस की मोहनी सूरत जैसे फूलों का आमेज़ा है और उस की आवाज़ है गोया रे-गामा-पा-धानी की भूली-बिसरी याद ने जब दरयाफ़्त किया अहवाल मिरा दिल ने ज़ख़्म कलाम किया आँखों ने अश्क-बयानी की इल्म का दम भरना छोड़ो भी और अमल को भूल भी जाओ आईना-ख़ाने में हो साहिब फ़िक्र करो हैरानी की