दुनिया से वास्ता न मुझे अपने हाल से वाबस्ता ज़िंदगी है तुम्हारे ख़याल से पर्दा उठा के आप ने ये क्या सितम किया दिल को जला के रख दिया बर्क़-ए-जमाल से लुट जाऊँगा जो दिल से ये काँटा निकल गया अरमाँ निकल न जाए दिल-ए-पाएमाल से मेरे उसूल जैसे किसी के नहीं उसूल सब का अलग ख़याल है मेरे ख़याल से 'फ़रमान' क्यों उदास है चेहरा बताइये आज आप आ रहे हो नज़र कुछ निढाल से