ग़ैर के या मिरे हालात पे रोना आया कुछ तो फ़रमाइए किस बात पे रोना आया मुझ को हैरत है कि वो पूछ रहे हैं मुझ से उन से अब क्या कहूँ किस बात पे रोना आया ये अलग बात मुझे तुम न बताओ शायद तुम को मेरी ही किसी बात पे रोना आया इस ख़बर से तो मिरे दिल को ख़ुशी होना थी क्यों मुझे तर्क-ए-मुलाक़ात पे रोना आया ये हक़ीक़त किसे मालूम नहीं है 'फ़रमान' क्यों मुझे आज के हालात पे रोना आया