दुनिया थक गई पूछते रहे सदा हम मौन समझेगा तेरे सिवा मन की भाषा कौन बातें होंगी प्यार की मिला आज एकांत नैन उतारें आरती मन का संशय शांत चिड़ जाए जब पूछती कैसे हो घनश्याम उस ने भी तो रख लिया मीरा मेरा नाम तू मेरी अर्धांगिनी ली मैं ने सौगंध आँसू टपके प्यार के कर ली आँखें बंद जोगी आया द्वार पर ख़ाली लौटा काल रोगी माटी चाट कर उठ बैठा तत्काल