दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते याद आते हो तुम ख़ुद ही हम याद नहीं करते वो जौर-ए-मुसलसल से बाज़ आ तो गए लेकिन बे-दाद ये क्या कम है बे-दाद नहीं करते साहिल के तमाशाई हर डूबने वाले पर अफ़सोस तो करते हैं इमदाद नहीं करते कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ पास-ए-मोहब्बत है हम आह तो करते हैं फ़रियाद नहीं करते सहरा से बहारों को ले आए चमन वाले और अपने गुलिस्ताँ को आबाद नहीं करते