दूर बैठे हैं क्यूँ पास तो आइए वक़्त रुकता नहीं यूँ न शरमाइए ज़ीना-ए-इश्क़ भी ज़ीनत-ए-बैत भी दिल में रखिए क़दम दिल में बस जाइए चार सू है घटा है क़यामत बपा ज़ुल्फ़ बहर-ए-करम यूँ न बिखराइए चाँद तो है हसीं आप सा तो नहीं बात सच है यही मान भी जाइए मैं हूँ बिस्मिल-नज़र आप को है ख़बर मर न जाऊँ कहीं अब न तड़पाइए आप ही का तो नक़्श-ए-क़दम चाँद है चाँदनी बन के आँगन में छा जाइए