दूर के ढोल सुहाने हैं सदियों के अफ़्साने हैं शम-ए-मोहब्बत जल के समझ हम तेरे परवाने हैं दिल में उतर कर देखो ज़रा चाहत के तह-ख़ाने हैं माँग रहे हैं तुझ से वफ़ा हम भी क्या दीवाने हैं यारों की बद निय्यत से शर्मिंदा याराने हैं 'हाफ़िज़' अब टुकड़े टुकड़े ज़ेहन के ताने-बाने हैं