इश्क़ है इश्क़-ए-पाक-बाज़ी का गो कि हो आलम-ए-मजाज़ी का इश्क़ का तिफ़्ल गिर ज़मीं ऊपर खेल सीखा है ख़ाक-बाज़ी का दिल को मिज़्गाँ नें ले के पंजे में काम कीता है शाहबाज़ी का कीमिया सीम-तन सीं मिलता है यही है फ़न्न सीम-साज़ी का फ़ज़्ल-ए-अहमद सीं शेर 'यकरू' का राह है पर्दा-ए-हिजाज़ी का