दूर रहते हुए मैं ने जाना उसे By Ghazal << कैसे जानेगा वो मेरे घर का... बहानों से जो चल जाती मोहब... >> दूर रहते हुए मैं ने जाना उसे जब वो मेरा ही है क्यों जताना उसे हर नई शय जो खींचे है अपनी तरफ़ खींच लाया है रब्त एक पुराना उसे जो दुआओं से पाया था सब छिन गया मेरे बस में कहाँ माँग पाना उसे और सब याद रहता है मुझ को मगर याद रहता नहीं भूल जाना उसे Share on: