कैसे जानेगा वो मेरे घर का रस्ता तुम बता आए उसे साग़र का रस्ता शाम होने पर बुलाया था किसी ने भूल जाते हो उसी दिलबर का रस्ता और क्या कहने को बाक़ी रह गया है तुम दिखा कर चल दिए बाहर का रस्ता आप से सारा जहाँ जलता है जानाँ आप तो बस ढूँढिए अम्बर का रस्ता आशिक़ों से रंजिशें बढ़ने लगीं हैं इस लिए भी ठीक है दफ़्तर का रस्ता