दूर तक जिन का कोई नक़्श नहीं है यारो ऐसे ही क़दमों पे अपनी भी जबीं है यारो एक सौदा-ए-मोहब्बत के सिवा दुनिया में मेरा सरमाया-ए-दिल कुछ भी नहीं है यारो हम ने सर ख़म न किया संग-ज़नों के आगे बस इसी जुर्म पे मजरूह जबीं है यारो वो भी तन्हाई में रोता है मिरे दिल की तरह जाने क्यों मुझ को ये रंगीन यक़ीं है यारो दिल गिराँ-बार अगर हो तो नज़ारों की क़सम सुब्ह पुर-कैफ़ है न शाम हसीं है यारो वो तो सरशार-ए-ग़म-ए-इश्क़ है और कुछ भी नहीं कौन कहता है कि 'सरवर' भी हज़ीं है यारो