दूर तक रौशनी है ग़ौर से देख मौत भी ज़िंदगी है ग़ौर से देख उन चराग़ों के बा'द ऐ दुनिया किस क़दर तीरगी है ग़ौर से देख रहनुमाओं का जज़्बा-ए-ईसार ये भी इक रहज़नी है ग़ौर से देख दुश्मनी को बुरा न कह ऐ दोस्त देख क्या दोस्ती है ग़ौर से देख तर्क-ए-तदबीर-ओ-जुस्तुजू के बा'द ज़िंदगी ज़िंदगी है ग़ौर से देख गर ये शबनम का रंग लाया है हर तरफ़ ताज़गी है ग़ौर से देख हैं तहय्युर में वो भी ऐ 'अख़्तर' क्या तिरी शाइ'री है ग़ौर से देख