ऐ दोस्त तलत्तुफ़ सीं मिरे हाल कूँ आ देख सीने की अगन मेहर के पानी सीं बुझा देख सादिक़ हूँ मुझे बुल-हवस ऐ जान तूँ मत जान शमशीर-ए-तग़ाफ़ुल दिल-ए-ज़ख़्मी पे चला देख प्यासा हूँ तिरी तेग़ के पानी का हर इक दम बावर नहीं ये बात तो यक-बार पिला देख मुझ आह की गर्मी सीं झड़े फूल चमन के ऐ सर्व-ए-गुलिस्तान-ए-अदा बाग़ में जा देख बंदा हूँ तिरा ख़्वाह करम ख़्वाह जफ़ा कर जिस तर्ज़ तिरे शौक़ में हुए मुझ कूँ जला देख नक़्द-ए-दिल-ए-ख़ालिस कूँ मिरी क़ल्ब तूँ मत जान है तुझ कूँ अगर शुबह तो कस देख तपा देख तुझ लब के तबस्सुम में है एजाज़-ए-मसीहा ऐ जान-ए-'सिराज' इस दिल-ए-बे-जाँ कूँ जला देख