उस शोख़ से क्या कीजिए इज़्हार-ए-तमन्ना ये लोग कोई सुनते हैं गुफ़्तार-ए-तमन्ना इक आरज़ू सब ले गए साथ अपने जहाँ से अंजाम किसू से न हुआ कार-ए-तमन्ना ये ख़ूबी-ए-क़िस्मत कि मिले बाग़-ए-जहाँ से सब को गुल-ए-उमीद ओ हमें ख़ार-ए-तमन्ना हसरत से भरा दिल मिरे पहलू में नहीं है फिरता हूँ बग़ल में लिए तूमार-ए-तमन्ना पहलू को मिरे बाग़ किया इश्क़ ने तेरे ज़ख़्मों से मिरा दिल हुआ गुलज़ार-ए-तमन्ना मुर्दों से 'हुज़ूर' हो न सके मिन्नत-ए-दूना सर जाए पर उन से न उठे बार-ए-तमन्ना