ऐ जान हुस्न-ए-अफ़सर-ए-ख़ूबाँ तुम्हीं तो हो मैं इक गदा-ए-इश्क़ हूँ सुल्ताँ तुम्हीं तो हो पहूँची है आसमाँ पे तजल्ली जमाल की कहते हैं लोग मेहर-ए-दरख़्शाँ तुम्हीं तो हो सच सच ये कह रहा है तनासुख़ का मसअला रूह-ए-अज़ीज़-ए-यूसुफ़-ए-कनआँ' तुम्हीं तो हो आगे तुम्हारे सर्व है ग़ैरत से पा-ब-गुल सहन-ए-चमन में सर्व-ए-ख़िरामाँ तुम्हीं तो हो हर बात पर बिगड़ते हो रिंदों से शैख़-जी सारे जहाँ में एक मुसलमाँ तुम्हीं तो हो दिल मेरा ले के तुम ने खिलौना बना लिया दुनिया में एक तिफ़्लक-ए-नादाँ तुम्हीं तो हो बातों में सेहर चाल में महशर निगह में क़हर साबित है इन से फ़ित्ना-ए-दौराँ तुम्हीं तो हो दिल दे के तुम को क्यूँ न कहूँ माया-ए-हयात मेरे जिगर तुम्हीं हो मिरी जाँ तुम्हीं तो हो मद्दाह हों तुम्हारे न किस तरह हक़-पसंद 'अहक़र' बुतों के एक सना-ख़्वाँ तुम्हीं तो हो