ए ज़ीस्त हमें तंग न कर इस से ज़ियादा इतना तो सहा हम ने मगर इस से ज़ियादा हम ख़ुद भी कमर बाँध के तय्यार हैं क़ासिद क्या होगी तिरे पास ख़बर इस से ज़ियादा ये दिल की दुआ है इसे कुछ कम न समझिए होगा अभी कुछ और असर इस से ज़ियादा ये सोच के कल रात हमें नींद न आई कल होगी गिराँ और सहर इस से ज़ियादा मुमकिन है ये हंगामा अभी बस न समझ 'सोज़' करनी हो तुझे उम्र बसर इस से ज़ियादा