ऐ ख़िरद और जुनूँ ख़ुदा-हाफ़िज़ ऐ दिल-ए-बे-सुकूँ ख़ुदा-हाफ़िज़ रुख़्सती अपनी ज़ात से चाहूँ आज ख़ुद से कहूँ ख़ुदा-हाफ़िज़ मुझ को इज़्न-ए-मफ़ारिक़त है दोस्त फिर न शायद मिलूँ ख़ुदा-हाफ़िज़ तुझ को मुश्किल है तो जुदाई की इब्तिदा मैं करूँ ख़ुदा-हाफ़िज़ ये गुमाँ तक न था मुझे इक दिन तुझ से कहना है यूँ ख़ुदा-हाफ़िज़ रूह को कर्ब से रिहाई दे मेरे सोज़-ए-दरूँ ख़ुदा-हाफ़िज़