ऐ सनम तुझ बिरह में रोता हूँ अश्क-ए-ख़ूनीं सीं मुँह कूँ धोता हूँ बंदगी में मुझे क़ुबूल करो मैं तुम्हारा ग़ुलाम होता हूँ बारिश-ए-आब-ए-अश्क है दरकार दाग़-ए-हिज्राँ के बीज बोता हूँ बोलता हूँ जो वो बुलाता है तन के पिंजरे में उस का तोता हूँ मत कहो मुझ सीं क़िस्सा-ए-फ़रहाद ख़्वाब-ए-शीरीं में आज सोता हूँ गौहर-ए-अश्क कूँ मिसाल-ए-'सिराज' रिश्ता-ए-आह में पिरोता हूँ